Harsh jain

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हर घड़ी

हुस्न तेरा चांद को भी मात देता जा रहा है! 

ईसलिए कोई दिन पे दिन तुझमे खोता जा रहा है! 

दुनिया का हर इक मंजर फीका लगता है उसे! 

एक शख्स हर घड़ी बस उसका होता जा रहा है!! 



         हर्ष जैन सहर्ष

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3 Comments

Satendra Nath Choubey

03-Jul-2021 09:04 PM

वाह

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Vfyjgxbvxfg

03-Jul-2021 08:12 PM

बहुत खूब

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Niraj Pandey

03-Jul-2021 06:13 PM

👌👌

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